मंगलवार, 7 जून 2016

अभी अभी एक गीत रचा हैं

माँ

अभी-अभी एक गीत रचा है तुमको जीते-जीते !!
अभी-अभी अमृत छलका है अमृत पीते पीते !!
हां अभी-अभी  हां अभी-अभी
अभी-अभी सांसो में उतरी है सांसो की माया !!
अभी-अभी होंठों ने जाना अपना और पराया !!
अभी-अभी एहसास हुआ जीवन जीवन होता है !!
खुद को शून्य बनाना ही कितना विराट होता है !!
हां अभी-अभी  हां अभी-अभी
अभी-अभी एक गीत रचा है तुमको जीते-जीते !!
अभी-अभी अमृत छलका है अमृत पीते पीते !!
                  
                         डॉ कुमार विश्वास